8 माह 18 दिन लार थाने के “चौधरी” रहे नवीन

लार। गत 21 अक्टूबर 22 को लार के तत्कालीन इंस्पेक्टर नवीन कुमार सिंह के गौरीबाजार स्थानातरण के बाद नवीन चौधरी लार के थानाध्यक्ष बने। लार थानाध्यक्षों के इतिहास में संभवतः ये पहले थानाध्यक्ष रहे जो अविवाहित और युवा रहे। लार थाने पर कुल 8 महीने 18 दिन नवीन की चौधरीआहट चली। सामान्य रूप से नवीन का कार्य बेहतर रहा।
नवीन चौधरी चूंकि पूर्व कप्तान डॉ श्रीपति मिश्र के पीआरओ के रूप में काफी समय तक जिले में सेवा किए थे, इस लिए राजनेताओं, समाज सेवियों और मीडियाकर्मियों से उनके संबंध पहले से ही बेहतर थे। जनता की समस्या सुनना और उसका निदान गुण दोष के आधार पर करना नवीन का शगल रहा। कई मामलों में या तो राजनीतिक दबाव या ऊपरी आदेश के चलते क्रास केस लिखने की वजह से उन पर पैसे लेकर केस लिखने की चर्चाएं भी समाज में फैलती रही, लेकिन जब भी ऐसे मामलों की तहकीकात की गई तो यही बात सामने आई कि उच्च अधिकारियों के आदेश पर ही क्रास केस लिखे गए। नवीन चौधरी के कार्यकाल में बाइक चोरी की घटनाएं ज्यादा हुईं, लेकिन उन चोरी की घटनाओं में कम का ही केस दर्ज हुआ। मठ वार्ड की चोरी का वास्तविक पर्दाफाश का श्रेय भी नवीन चौधरी को जाता है। संजाव में तीन घरों की चोरी की घटनाओं का पर्दाफाश करने में विफल रहे। अमूमन फर्जी तरीके से गरीब, खानाबदोश और कमजोर लोगों को पुलिस चालान कर अपना गुडवर्क दिखाती है, नवीन चौधरी ने कभी ऐसा नहीं किया जिसके चलते जनता में एक बेहतर संदेश भी गया। गो तस्करी और शराब तस्करी रोकने के लिए मजबूती से काम हुए। नवीन चौधरी सीयूजी उठाने में लापरवाह रहे। जरूरी समझे तो काल बैक भी कर लेते थे। कंपटीशन की तैयारी में लगे रहते थे। इस लिए बैठकबाजी में समय नहीं देते रहे। जो जिस भाव से मिला उसे उसी भाव से जवाब मिला। नेताओं के दबाव से परेशान होने पर अभी हाल ही में कप्तान के यहां पेश होकर स्वयं को लार से हटाने का अनुरोध भी किए थे। नवीन चौधरी के उज्ज्वल भविष्य की कामना।
– पांडे एन डी देहाती



