देवरिया : सातवीं की छात्रा की दलालों ने कराई अधेड़ से शादी
पुलिस को दी गई दो नामजद आरोपियों के खिलाफ तहरीर
स्वाभिमान जागरण संवाददाता, देवरिया। गरीबी और माता – पिता की अशिक्षा के चलते दलालों ने सातवीं में पढ़ने वाली एक ग्यारह वर्षीय किशोरी को हरियाणा के एक अधेड़ के हाथों बेंच दिया। बाल विवाह और जबरिया शादी की शिकायत सोमवार को लार पुलिस के सामने पहुंचा था। पुलिस ने बगैर किसी कार्रवाई के पीड़ित किशोरी और उसके माता पिता को थाने से बैरंग लौटा दिया।
लार थाना क्षेत्र के एक गांव में बाल विवाह का मामला प्रकाश में आया है। गांव की एक ग्यारह वर्ष की किशोरी सोमवार को गांव के स्कूल पर पहुंची। स्कूल के अन्य सहपाठी किशोरी की मांग में सिंदूर देख जब उससे बात करने लगे तो वह रोने लगी। उसने अपनी पूरी दास्तान स्कूल में बयां की। उसने बताया कि उसका विवाह बगैर उसकी मर्जी के गांव के दलाल ने मेरे गार्जियन को अंधेरे में रखकर हरियाणा में एक उम्र दराज व्यक्ति से नवलपुर के एक मंदिर में 10 जुलाई को कराकर विदा कर दिया। वहां जाने के बाद उसको भैंस चराने और अन्य कार्य के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा। वह आत्महत्या करने जा रही थी कि इसी बीच हरियाणा के खेड़ीपुर में जहां किशोरी की शादी हुई थी पड़ोसी लोगों ने उसे बचा लिया और उसके पिता को सूचना दी। पिता गए तो बेटी को अपने साथ लाए।
बाल विवाह और अपने स्कूल के सातवीं की छात्रा की यह दास्तान सुन कर स्कूल के एक शिक्षक ने पुलिस को फोन कर जानकारी दी। पुलिस किशोरी को और उसके घरवालों को थाने ले गई। जहां से बगैर कार्रवाई के छोड़ दिया गया। इस बीच मंगलवार को एक स्थानीय अखबार ने इस मामले को प्रमुखता से पहले पेज पर प्रकाशित किया। उसके बाद तो खुफिया विभाग के लोग और मीडिया का गांव में जमावड़ा लग गया।
पीड़ित छात्रा ने पुलिस को तहरीर दिया है जिसमें एक अपने गांव और एक दूसरे गांव के दलाल को नामजद करते हुए अपने को 80 हजार में बेचे जाने का आरोप लगाया है। इतने गंभीर मामले पर प्रशासन अभी शिथिल है। खबर लिखे जाने तक स्थानीय पुलिस मामले की जांच पड़ताल में लगी है।
क्या कहता है भारत का कानून- 14 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले पुरुषों को बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (POCSO) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया जाएगा और 14 से 18 साल के बीच की लड़कियों से शादी करने वालों पर बाल विवाह निषेध अधिनियम (PCMA), 2006 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।
बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (POCSO) अधिनियम- POCSO अधिनियम, 2012 एक नाबालिग और एक वयस्क के बीच यौन संबंध को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। कानून नाबालिग की सहमति को वैध नहीं मानता है।पॉक्सो के तहत यौन उत्पीड़न एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है। इसका तात्पर्य है कि पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है।




