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फिल्म समीक्षा : क्या है पुष्पा_2 में?

लार में चल रही है फिल्म : पुष्पा2

 

 

Aura Cineplex: Lar, Deoria

फिल्म समीक्षा : क्या है पुष्पा_2 में

पांडे एन डी देहाती/स्वाभिमान जागरण संवाददाता
देवरिया। जिले के लार के सोनराबारी स्थित Aura Cineplex में इन दिनों पुष्पा_2 चल रही है। आइए जानते हैं फिल्म में क्या कुछ खास है। सच कहूं तो अभिनय नहीं अंगार है। अल्लू अर्जुन पुष्पा का ‘फ्लावर नहीं फायर है’ । इस फिल्म में एक्शन, रोमांस, हिंसा, हीरोगिरी के वो सारे मसाले मौजूद हैं, जिसके लिए साउथ जाना जाता है। राजनीति में किस हद का भ्रष्टाचार है? कैसे कोई चंदन तस्कर अपनी बीवी की एक इच्छा , उसके पति की फोटो सीएम के साथ खींचे, जिसे वह अपने हॉल में लगाए। इसके लिए तस्कर पुष्पा सीएम को बदलने का पॉवर दिखा दिया।
कहानी की बात की जाए, तो पहले भाग में एक आम दिहाड़ी मजदूर रहा पुष्पा राज (अल्लू अर्जुन) चंदन का तस्कर बन चुका है। एक स्मगलर के रूप में अपनी बढ़ती ख्याति के साथ-साथ वह अपने इलाके के लोगों की भलाई के लिए सबकुछ करता है और उनके दिलों का राजा बन जाता है, मगर दूसरी तरफ उसके दुश्मनों में कोई कमी नहीं आई है। एसपी भंवर सिंह शेखावत (फहाद फासिल) से उसकी रार बढ़ चुकी है। शेखावत अतीत की बेइज्जती का बदला लेकर उसकी इंटरनैशनल तस्करी पर लगाम लगाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है, यहां पावर हाथ में आने पर पुष्पा की जिद और अक्खड़पन और बढ़ गया है। पत्नी श्रीवल्ली (रश्मिका मंदाना) उसके सामने सीएम के साथ फोटो खिंचवा लाने की फरमाइश करती है और जब प्रदेश का सीएम फोटो देने से मना कर देता है, तो पुष्पा अपने बाहुबल और पैसों के जोर पर सीएम ही बदलवा देता है।
पारिवारिक परिदृश्य में देखें तो एक मजदूर अपने पिता की नाजायज औलाद के दंश से छुटकारा के लिए लाल चंदन की तस्करी से कितना बड़ा पैसा वाला बन जाता है। पुष्पा के अंदर एक इंसान का दिल है।  सौतेला भाई, जिसने समाज में उसकी बेइज्जती की,उसे पिता का नाम नहीं देने दिया उसी की बेटी की इज्जत के लिए पुष्पा,  चाचा  की भूमिका में जब उतरता है तूफान बन जाता है। फिल्म थोड़ी लंबी है लेकिन हॉल में आप उबेंगे नहीं, क्योंकि कहानी में सब कुछ है जो आज की युवा पीढ़ी चाहती है।

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