ब्रह्मेश्वर मुखिया : अगड़ों में नायक पिछड़ों में खलनायक
रणवीर सेना के संस्थापक की आज पुण्य तिथि है

पांडे एन डी देहाती / स्वाभिमान जागरण
विशेष रिपोर्ट
आज पहली जून है। आज ही के दिन ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या कर दी गई थी। पड़ोसी प्रांत बिहार के आरा से लेकर गोपालगंज, सिवान और छपरा तक चर्चित ब्रह्मेश्वर मुखिया सड़े सिस्टम, राजनीतिक कुशासन, अत्याचार के प्रतिशोध की उपज थे।
ब्रह्मेश्वर मुखिया पर 277 लोगों की हत्या का आरोप था। बिहार में लालू राज में सवर्ण के खेत में लाल झंडा गाड़ कर कब्जा कर लेने की कहानियां आए दिन मीडिया की सुर्खियों में रहती थीं। जमीन पर जबरिया कब्जा किया जाता था, रोकने पर हत्याएं की जाती थी। माहौल इतना खराब था फिर भी दल विशेष के लोग नारा देते थे भूरा बाल साफ करो। भूरा बाल से मतलब था भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और लाला। नक्सलियों के अत्याचार के प्रतिशोध में रणवीर सेना बनी। इसी सेना के मुखिया थे ब्रह्मेश्वर सिंह। उन्हें ब्रह्मेश्वर मुखिया कहा जाता था। अत्याचार के खिलाफ हिंसा का रास्ता अख्तियार करते हुए ब्रह्मेश्वर मुखिया ने जब मौके पर ही न्याय का हथकंडा अपनाया तो बिहार में कई नरसंहार हुए। ब्रह्मेश्वर मुखिया ने एमसीसी के नक्लियों को जवाब देने के लिए ही रणवीर सेना का गठन किया था। दरअसल ब्रह्मेश्वर मुखिया ने जिस संगठन को बनाया था उसका नाम रणवीर किसान महासंघ था, जिसे पुलिस ने रणवीर सेना का नाम दे दिया। 1990 से 2002 के बीच बिहार में नक्सलियों ने दलितों की आवाज बनने की कोशिश की और यह भी कहा कि जो लोग गरीबों को उनका हक नहीं दे रहे हैं उन्हें हथियारों से जवाब दिया जाएगा. नक्सलियों के इस तरह के ऐलान के बाद बिहार में जातीय संघर्ष बढ़ गया था। जब दलितों की सामूहिक हत्या के बाद बदला लेने की नीयत से नक्सलियों ने सेनारी नरसंहार( 1999) और अफसर नरसंहार(2000) को अंजाम दिया, तो अगड़ी जाति के लोगों का गुस्सा बहुत बढ़ गया। सेनारी नरसंहार में 34 भूमिहारों की और अफसर में 11 भूमिहार और राजपूत की हत्या हुई थी। एमसीसी के उग्रवादियों ने अगड़ी जाति के लोगों के घर में घुसकर उनकी हत्या की, तब ब्रह्मेश्वर मुखिया ने 1994 में रणवीर सेना का गठन किया। रणवीर सेना ने बिहार में लक्ष्मणपुर बाथे जैसे नरसंहारों को अंजाम दिया, जिसमें 58 दलितों की हत्या हुई। ब्रह्मेश्वर मुखिया बिहार के भोजपुर जिला के खोपिरा गांव के थे। ब्रह्मेश्वर मुखिया के नेतृत्व में रणवीर सेना ने नक्सलियों को जवाब देने के नाम पर बथानी टोला नरसंहार (1996), लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार (1997) और शंकरबिगहा नरसंहार (1999) जैसी घटनाओं को अंजाम दिया। इन नरसंहारों को बहुत ही क्रूर तरीके से अंजाम दिया गया कि महिलाओं और बच्चों को भी नहीं छोड़ा गया था। ब्रह्मेश्वर मुखिया पर 277 लोगों की हत्या का आरोप था। ब्रह्मेश्वर मुखिया को भूमिहार और अगड़ी जाति के लोग अपना मसीहा तो पिछड़े और दलित उन्हें राक्षस कहते थे।
रणवीर सेना के सुप्रीमो ब्रह्मेश्वर मुखिया की 1 जून 2012 को आरा में गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई थी। बिहार के भोजपुर जिले के पवना थाना क्षेत्र के खोपीरा गांव निवासी ब्रह्मेश्वर मुखिया का घर आरा शहर में कतिरा-स्टेशन रोड में अभी भी है। एक जून 2012 को रोज की तरह सुबह में मुखिया अपने आवास की गली में ही टहल रहे थे, इसी दौरान सुबह के करीब चार-साढ़े चार बजे ताबड़तोड़ गोलियों से उन्हें भून दिया गया। आज ब्रह्मेश्वर मुखिया की पुण्य तिथि है।