स्वामी आनंद स्वरूप ने दिगंबर बाबा स्थान पर सनातन ध्वज किया स्थापित
बलिया जिले के सिसेंड कला में 52 एकड़ की परती भूमि अधिग्रहण करना चाहती है सरकार
स्वाभिमान जागरण संवाददाता, बलिया। वीरों की भूमि, बागियों की धरती, बलिदान की पहिचान आज आज फिर अपने स्वाभिमान के लिए उठ खड़ा हुआ है। शनिवार को बलिया जिले के बेल्थरा रोड तहसील अंतर्गत स्थित सिसेंड कला गांव में पारंपरिक रूप से मुगलकाल से परती पड़ी आस्था और धर्म की पावन धरती पर शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने सनातन धर्म का ध्वज सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में स्थापित कर दिया। यह 52 एकड़ की पवित्र भूमि दिगंबर बाबा की परती के नाम से लोग जानते हैं। मुगलकाल में गो रक्षा के लिए बाबा ने इस भूमि पर अपना बलिदान कर दिया था। मुगलकाल से लेकर अंग्रेजी हुकूमत और यहां तक की स्वतंत्र भारत के 75 वर्ष के इतिहास में इस भूभाग पर लोगों की इतनी आस्था है कि किसी ने इस भूमि को कब्जा नहीं किया। इन दिनों सरकार इस भूमि को अधिग्रहित कर कुछ प्लांट लगाना चाहती है। क्षेत्रीय लोग इसे आस्था की भूमि मानकर गोचर के रूप में ही रखना चाहते हैं।पूरा 52 एकड़ भूमि आज भी परती है। इसमें एक पेड़ तक नहीं है। यहां श्रद्धालु दिगंबर बाबा की कथा कहलाते हैं। यहां भूसा और बतासा चढ़ाया जाता है।
क्षेत्रीय लोगों के अनुरोध पर काली सेना के संस्थापक , शांभवी पीठाधीश्वर और शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने दिगंबर बाबा की 52 एकड़ भूमि को गोचर के रूप में ही खाली रखने के लिए संघर्ष का बिगुल फूंक दिया। शनिवार को दोपहर में सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में वैदिक मंत्रों के बीच ध्वज स्थापित किया।
स्वामी जी ने कहा कि सन 1600 ईसवी से खाली पड़ी है, लोग उसपर चप्पल पहनकर नहीं जाते। रोज जिस परती की पूजा हो रही है,जिसको मुगलों ने नही छुआ, ना ही अंग्रेजो ने छुआ और न ही ,75 वर्ष की भारतीय सत्ता में किसी ने उसे अधिग्रहित करने की सोच दिखाई। आस्था, श्रद्धा और शहादत की उस भूमि पर इन दिनों प्रशासन की नजर टेढ़ी है। पवित्र भूमि को सरकारी उपक्रमों के लिए कब्जे में लेने का प्रयास किया जा रहा है।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से इस अवसर पर शांभवी पीठाधीश्वर के अतिरिक्त ज्ञान प्रकाश मिश्र, अवनीश मिश्र, सत्य प्रकाश उपाध्याय, प्रेम प्रकाश, आदित्य दुबे, आशीष तिवारी, स्वप्निल दिवेदी, करुणेश सिंह, अखिलेश शुक्ल, रविंद्र यादव, संजय यादव, ग्राम प्रधान देवेंद्र यादव, श्रवण प्रजापति, दुर्गेश अंबेडकर, श्रीराम यादव पंथी सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ बेचन यादव ने किया।




