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पीस कमेटी की बैठक में उठा लटके तार और टूटी नालियों का मुद्दा

श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर लार थाना में हुई पीस कमेटी की बैठक

पांडे एन डी देहाती /स्वाभिमान जागरण 

देवरिया। सोमवार की शाम लार थाने पर श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर पीस कमेटी की बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता सलेमपुर की उप जिलाधिकारी दिशा श्रीवास्तव ने की। बैठक में बताया गया कि अत्यधिक आवाज़ में डीजे कतई न बजायें। नागरिकों ने नगर में लटके बिजली के तारों और टूटी नालियों का मामला उठाया। बिजली विभाग के लटकते हुए तार को ऊपर करने का एसडीएम ने निर्देश दिया।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता और स्कूल के प्रबंधक दिनेश कसेरा ने बताया कि मोती मस्जिद से लेकर चौक तक नालियों की पटरियां टूटी हुई है व नालियां जाम है। सड़कों पर गंदा पानी लगा है। इस रास्ते से श्रीकृष्ण का डोल निकलना है। एसडीएम ने ईओ को तुरंत समस्या का समाधान करने का आदेश दिया। सभासद रेयाज लारी ने बताया कि चौक में जहाँ मेला लगता है वहीं तार लटक रहा है जिसे विभाग को तुरन्त सही कराने का आदेश दिया गया। सभासद प्रमोद विश्वकर्मा ने बताया कि जामा मस्जिद के पास लोहे का ऐंगल सड़क पर निकला हुआ है जो कभी भी दुर्घटना का कारण बन सकता है। इसके अतिरिक्त कई अन्य लोगों ने अपने विचार रखे। बैठक में अधिकारियों ने कहा कि जुलुस में किसी प्रकार का अस्त्र शस्त्र नहीं निकलेगा। तय रूट के अनुसार ही डोल निकलेगा।

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लार में डोल मेला जुलूस 107 वर्ष की परम्परा को हर वर्ष आगे बढ़ा रहे सनातनधर्मी

देवरिया जिले में मात्र लार कस्बा में ही डोल मेला लगता है। यह डोल मेला 107 वर्ष की परम्परा को आगे बढ़ाता है। नगर में जन्माष्टमी व डोल मेले की परंपरा अंग्रेजी हुकूमत काल से चली आ रही है। इसकी शुरुआत लार कस्बा के चौक वार्ड के स्व राधारमण सिंह ने 1918 में की थी। अब यह परंपरा आज की युवा पीढ़ी मजबूती के साथ निभा रही है। झांकी और बाजार के बीच में डोल जुलूस का मिलन आरती के बाद मेले का समापन होता है। इस दौरान नगर का माहौल भक्तिमय हो जाता है। नगर में जन्माष्टमी का त्योहार परंपरागत तरीके से मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1918 में स्व राधा रमण सिंह ने की थी। तभी से जन्मोत्सव कार्यक्रम के बाद अगली सुबह डोल जुलूस निकाला जाता है। इसमें घारी वार्ड, चनुकी मोड़, पिपरा चौराहा सहित 24 से अधिक स्थानों पर रखे डोल मेले में आते हैं। सभी मुख्य चौराहा से एकत्रित होकर धीरे धीरे गाजे बाजे और जय श्रीकृष्ण के जय घोष करते हुए आगे बढ़ते हैं। भगवान की मनोरम झांकी भी प्रस्तुत करते हैं। इस दौरान घरों की छतों से लोग फूल बरसा बरसा कर डोल जुलूस का स्वागत करते हैं। शाम को सभी डोल कतारबद्ध तरीके से स्व राधा रमण सिंह के दरवाजे पर पहुंचता है, जहां उनके परिजनों द्वारा भगवान की आरती कर डोल मेला का समापन किया जाता है। डोल मेला बेहतर झांकी प्रदर्शन होता है। मटका फोड़ होता है। बेहतर झांकियों और मटका फोडने वाले कांधा बने युवकों को पुरस्कृत किया जाता है।

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