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काहिरा की अल-हाकिम मस्जिद पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी, जानें क्या है भारत से कनेक्शन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के बाद मिस्र के दौरे पर हैं। रविवार को वह काहिरा की अल- हाकिम मस्जिद पहुंचे। 11वीं सदी में दाऊदी बोहरा समुदाय ने इस मस्जिद का जिर्णोद्धार करवाया था। इसके अलावा यह मस्जिद को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया है। मस्जिद में पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी का शानदार स्वागत किया गया। उन्होंने यहां लगी तस्वीरों को देखा। इसके बाद मस्जिद में उपस्थित लोगों से मुलाकात की।

प्रधानमंत्री मोदी ने मस्जिद की शानदार वास्तुकला और नक्काशी को भी गौर से देखा। इसके बाद उन्हें कई उपहार भी दिए गए। इसमें शीशे में बंद एक लकड़ी की नौकै, एक चीनी मिट्टी का बना बर्तन नुमा उपहार, मस्जिद की तस्वीर शामिल हैं। बता दें कि 1997 के बाद पहली बाद भारत प्रधानमंत्री मिस्र की आधिकारिक यात्रा पर पहुंचे हैं।

क्या है अल- हाकिम मस्जिद का इतिहास
राजधानी काहिरा इस्लामी वास्तुकला के लिए दुनियाभर में जाना जाती है। इस मस्जिद का निर्माण फातिमिद राजवंश के पांचवें खलीफ अल-अजीज ने 10वीं शताब्दी में शुरूर करवाया था। वे अब मूल के एक इस्माइली शिया राजवंश से ताल्लुक रखते थे। यहां नमाज तो शुरू हो गई थी लेकिन इमारत का निर्माण पूरा नहीं हो पाया था। एक साल में यहां एक ही कमरा बनाया जा सका।

करीब 12 साल के बाद अल-अजीज के बेटे अल-हाकिम ने इसका निर्माण फिर से शुरू करलाया। इसके बाद इसके तैयार होने में 10 साल का वक्त लग गया। यह मस्जिद 120 मीटर लंबी और 113 मीटर चौड़ी थी। पहले यह मस्जिद काहिरा शहर के बाहर हुआ करती थी। हालांकि बाद में शहर की सीमाओं को मस्जिद तक बढ़ा दिया गया।

क्या है भारत से कनेक्शन

13वीं सदी में मिस्र में ममलूक सल्तनत शासन करने लगी। 1303 के भूकंप में इस मस्जिद को नुकसान पहुंचा। ममलूक सुल्तान अबु-अल-फतह ने इसका जीर्णोद्धार करवाया। हालांकि यह काम ठीक से नहीं किया गया। बाद में इस मस्जिद का इस्तेमाल जेल और अस्तबल के रूप में भी किया गया। नेपोलियन ने इसका किले के रूप में इस्तेमाल किया। 20वीं सदी में स्कूल भी बनाया गया। लेकिन 1970 में दाऊदी बोहरा समुदाय के धर्मगुरु मोहम्मद बुरहानुद्दीन ने इसकी मरम्मत की जिम्मेदारी ली। वह भारत से जुड़े हुए थे। सामाजिक कार्यों के लिए भारत में उन्हें मरणोपरांत पद्मश्री से सम्मानित भी किया गया। 24 नवंबर 1980 को इसे औपचारिक रूप से खोल दिया गया। अब पर्यटक भी इस मस्जिट में जा सकते हैं।

Dainik Swabhiman Jagran

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