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… तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है

चार माह से खोद कर छोड़ा लार बाई पास

चार माह से खोद के छोड़ा लार बाईपास, मोहर्रम जन्माष्टमी के बाद दशहरा में प्रतिमा विसर्जन में भी होगी दिक्क़त

पांडे एन डी देहाती / स्वाभिमान जागरण

देवरिया। अदम गोंड़वी एक पंक्ति लार बाई पास पर बहुत सटीक बैठती है – “तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है।” जी हाँ, यह तस्वीर उसी अमृत काल की है जहां विकास के ढ़ोल लगातार पीटे जा रहे हैं। धरातल पर न कोई जन प्रतिनिधि उतर कर यह बता रहा कि इस दुर्गति से कब निजात मिलेगा? और न प्रतिपक्ष की कोई आवाज़ मुखर हो रही। जनता पिस रही। लोक निर्माण विभाग तमाशबीन बना है। मई माह से ही लार बाईपास निर्माण के नाम पर खोद कर छोड़ दिया गया है। स्कूली बस नहीं जा सकती, एम्बुलेंस नहीं जा सकती, ग्रामीण बाजार करने नहीं जा सकते, किसी घटना की सूचना पर समय से पुलिस नहीं पहुंच सकती, क्योंकि यदि पिपरा चौराहा पहुंचना हो तो घारी, रक्शा होकर या चनुकी मोड़ होकर पुलिस पिपरा पहुंचेगी।
थाने पर त्योहार को लेकर पीस कमेटी की बैठक होती है। मोहर्रम के पीस कमेटी की बैठक में यह मामला उठा। जन्माष्टमी के पीस कमेटी की बैठक में भी यह मुदा उठा। झूठ के आश्वासनों के सहारे दो त्योहार बीत गए। लार बाई पास नहीं बना। अब सामने दशहरा है, क्या पता दशहरा में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन तक लार बाईपास चलने लायक होगा या नहीं?
अभी हाल ही में भाजपा ने एक तिरंगा यात्रा निकाली थी। धवरिया मोड़ पर शहीद संजय चौहान की प्रतिमा पर फूल माला चढ़ा लेकिन हायड्रिल तिराहा पर शहीद हरेराम सिंह की प्रतिमा पर एक पुष्प मात्र इस लिए नहीं चढ़ सका क्योंकि लार बाई पास खराब है और किसी शहीद के सम्मान से ज्यादा नेताजी लोगों को अपने धवल वस्त्र की चिंता रही कि कहीं कीचड़ का दाग़ न लग जाय।


लार बाई पास की दुर्दशा को लेकर इस कस्बा के कुछ लोग अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त किए। लार के ही घारी वार्ड के निवासी हैं, प्रोफेसर मुरली मनोहर पाठक। ये
दिल्ली के लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत राष्ट्रीय विश्व विद्यालय के कुलपति हैं। पितृपक्ष के कार्यक्रम में सोमवार को दिल्ली से लार आये। लार बाईपास की स्थिति देखकर दंग रह गए। प्रो मुरली मनोहर पाठक बोलते हैं, दिल्ली से आराम से आ गया, लेकिन अपने घर के समीप ही जो दुर्गति है वह देखकर बहुत दुख हुआ। सड़क पर इतना गड्ढा और कीचड़ देखकर दंग रह गया। अंशू सिंह के गिट्टी बालू की दुकान तक तो वाहन आ गया, आगे रास्ता जाने लायक नहीं था।

अम्बेडकर इंटरनेशनल स्कूल मटियरा जगदीश के प्रधानाचार्य राम जीवन तिवारी ने कहा कि सबसे ज्यादा दिक्क़त स्कूली बच्चों को हो रही। लार क्षेत्र में दर्जनों निजी विद्यालय चलते हैं। सभी स्कूलों के अपने वाहन हैं। सुदूर ग्रामीण अंचल से स्कूल बसों से बच्चे अपने अपने शिक्षण संस्थानों में पढ़ने आते हैं। बाईपास खराब होने से स्कूल बसों को घूम कर आने जाने में समय और ईधन अधिक लगता है। अभी इस सड़क का कुछ भविष्य समझ में नहीं आ रहा कि कब तक चलने लायक होगा।

घारी वार्ड के विनोद चौहान राजमिस्त्री हैं, बताते हैं कि देहात में रोज काम करने जाना होता है। बाई पास से महज 100 मीटर दूर पुरब बगल ही घर है लेकिन आने -जाने के लिए दो किमी का चक्कर लगाकर कस्बा, लखुमोड, बरडीहा मोड़ होकर देहात में मजदूरी करने जाना पड़ता है। हमारे साथ चार मजदूर भी मेरे ही मुहल्ले के हैं जो साथ में रोज काम करने जाते हैं बाई पास खराब होने से काफी दूरी का रास्ता तय करना पड़ता है।

लार कस्बा के शास्त्री नगर निवासी लल्लन हजाम बताते हैं कि पितृपक्ष चल रहा है। जजमानी में बाल बनाने और पिंडदान में सहयोग करने जाना होता है, गया गिर और रक्शा, पलिया, घारी आदि वार्ड में जाने में कीचड़ से सराबोर हो जाना पड़ता है। बाई पास खराब होने से बहुत परेशानी है।

इस संबंध में लार भाजपा मण्डल अध्यक्ष वृजेशधर दुबे ने कब तक लार बाई पास चलने लायक होगा? के सवाल पर बताया कि अभी थोड़े दिन पहले ठीक करवाया था। कुछ मिट्टी बराबर करवाया था फिर बड़े वाहनों के चलते गड़बड़ हो गया। निर्माण कार्य में लगे लोगों से बात किया हूं। आज तीन बजे आने को लोग बोले हैं। कम से कम दुपहिया के लिए आवागमन लायक करा रहा हूं।

 

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