अन्ना गौवंश संरक्षण व ग्रामीण रोजगार के लिए “विकसित फतेहपुर 2047” विज़न प्रस्ताव सौंपा
प्रवीण पांडेय ‘बुंदेलखंडी’ ने जिलाधिकारी फतेहपुर को “पंडित दीनदयाल उपाध्याय महानना गौ-ग्राम औद्योगिक विकास मॉडल” प्रस्तुत किया

खागा/फतेहपुर ::- बुन्देलखण्ड राष्ट्र समिति के केंद्रीय अध्यक्ष एवं पर्यावरणविद् प्रवीण पांडेय ‘बुंदेलखंडी’ ने जिला अधिकारी फतेहपुर से भेंट कर अन्ना गौवंश की समस्या के स्थायी समाधान और स्थानीय रोजगार सृजन के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना प्रस्ताव सौंपा। यह प्रस्ताव “विकसित फतेहपुर 2047” विज़न के तहत तैयार किया गया है।
प्रस्ताव के अनुसार, फतेहपुर जनपद के खागा तहसील अंतर्गत महानना ऊसर क्षेत्र में लगभग 100 एकड़ भूमि पर “पंडित दीनदयाल उपाध्याय महानना गौ-ग्राम औद्योगिक विकास मॉडल” स्थापित किया जाएगा।
परियोजना का उद्देश्य
इस मॉडल का मुख्य उद्देश्य अन्ना गौवंश के संरक्षण के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाना है।
प्रस्ताव के तहत दूध, गोमूत्र और गोबर से जैविक, औषधीय एवं औद्योगिक उत्पाद तैयार किए जाएंगे।
परियोजना के माध्यम से लगभग 5,000–10,000 अन्ना गौवंश का संरक्षण,
1,000 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और ₹35–40 करोड़ वार्षिक उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
मुख्य इकाइयाँ
परियोजना में गौशाला एवं डेयरी यूनिट, मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट, गोबर आधारित बायोगैस इकाई,
गोमूत्र आधारित औषधीय उत्पाद केंद्र और बायो एनर्जी प्लांट स्थापित किए जाने का प्रस्ताव है।
साथ ही, महिला स्वयं सहायता समूहों को डेयरी उत्पाद निर्माण और विपणन में जोड़ा जाएगा।
पर्यावरणीय और सामाजिक लाभ
प्रस्ताव में कहा गया है कि इस परियोजना से न केवल अन्ना पशुओं की समस्या का समाधान होगा,
बल्कि किसानों को राहत मिलेगी और भूमि की उर्वरता बढ़ेगी।
गोबर आधारित ऊर्जा से प्रदूषण में कमी आएगी और हरित ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा।
मुख्यमंत्री को भी भेजा गया ज्ञापन
प्रवीण पांडेय बुंदेलखंडी ने बताया कि परियोजना का विस्तृत ज्ञापन
प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को भी भेजा गया है,
ताकि इसे राज्य स्तरीय पायलट प्रोजेक्ट के रूप में स्वीकृति मिल सके।
उन्होंने कहा कि यह मॉडल “अंत्योदय” के सिद्धांत पर आधारित है,
जहाँ विकास का केंद्र गाँव, किसान और गौमाता होंगी।
प्रवीण पांडेय ने कहा कि यह परियोजना न केवल फतेहपुर बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक आदर्श ग्रामीण औद्योगिक मॉडल बन सकती है।
यदि सरकार सहयोग करे तो फतेहपुर उत्तर प्रदेश का पहला आत्मनिर्भर डेयरी और गौसंवर्धन हब बन सकता है।


