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सतसंग में मौत का समागम, हाथरस हादसे में सौ से अधिक की मौत

 

स्वाभिमान जागरण संवाददाता
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदराराऊ क्षेत्र में मंगलवार को आयोजित सत्संग के दौरान मची भगदड़ में सौ से अधिक लोगों की मौत हो गई है। इस दुखद हादसे में कई लोग घायल हुए हैं, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। हादसे के बाद से कथावाचक साकार विश्व हरि भोले बाबा फरार हैं और अभी तक उनकी कोई जानकारी नहीं मिली है। हाथरस के डीएम आशीष कुमार के अनुसार जिला प्रशासन पूरी तत्परता से कार्य कर रहा है। घायलों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है और उनका इलाज जारी है। डॉक्टरों के अनुसार, अब तक सौ से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति एसडीएम द्वारा दी गई थी और यह एक निजी आयोजन था।घायलों को सिकंदराराऊ ट्रामा सेंटर पर पहुंचाया जा रहा है। स्थानीय लोगों ने सोशल मीडिया पर ट्रामा सेंटर के वीडियो अपलोड किए हैं जिनमें परिजन आक्रोश जताते साफ़ देखे जा सकते हैं। ट्रामा सेंटर पर मौजूद पीड़ितों के एक परिजन ने कहा, इतना बड़ा हादसा हो गया है लेकिन एक भी सीनियर अधिकारी यहां मौजूद नहीं है। भोले बाबा को किसने यहां इतना बड़ा कार्यक्रम करने की परमिशन दी थी। प्रशासन कहां है?घायलों और मृतकों को ट्रॉमा सेंटर पर ट्रकों, टैंपो और एंबुलेंस में लाया गया। वीडियो में ट्रामा सेंटर के बाहर महिलाओं के शवों को फ़र्श पर लिटाये हुए देखा जा सकता है। ट्रामा सेंटर के बाहर अफ़रातफ़री का माहौल है और लोग अपने प्रियजनों की तलाश में वहां पहुंच रहे हैं।

डीएम आशीष कुमार ने कहा, “समागम के दौरान जब बहुत ज्यादा उमस होने लगी तो लोग वहां से निकलने लगे। उसी समय हादसा हुआ। घटना की जांच के लिए उच्च अधिकारियों की एक जांच कमेटी बनाई गई है। इस आयोजन की इजाजत एसडीएम ने दी थी। ये एक प्राइवेट आयोजन था। कानून-व्यवस्था के लिए प्रशासन की ड्यूटी लगाई थी, जबकि भीतर की व्यवस्था आयोजकों की ओर से की जानी थी। हादसे की असली वजह क्या है ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा। लेकिन फिलहाल प्रशासन का फोकस ये है कि जो लोग घायल हैं उन्हें जल्दी इलाज मिले।

कौन है हरि भोले बाबा

कथावाचक बाबा साकार विश्व हरि भोले बाबा, जिनका असली नाम सूरज पाल है, 17 साल पहले पुलिस कांस्टेबल की नौकरी छोड़कर सत्संग करने लगे थे। बाबा ने पटियाली में अपना आश्रम बनाया और गरीब और वंचित तबके के बीच तेजी से लोकप्रिय हो गए। उनके उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में लाखों अनुयायी हैं। बाबा भोले अक्सर सूट में मंच पर आते हैं और उनके अनुयायी मीडिया से दूरी बनाए रखते हैं।

नेताओं की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर कहा, “अभी-अभी मुझे यूपी के हाथरस में दुखद खबर की सूचना मिली है – मैं इस पर दुख प्रकट करता हूँ – राज्य सरकार सभी की हर संभव मदद कर रही है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने का निर्देश दिया है। उन्होंने मौके पर दो मंत्री, मुख्य सचिव और डीजीपी को भेजा है। सीएम योगी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, जनपद हाथरस की दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में हुई जनहानि अत्यंत दुःखद एवं हृदय विदारक है। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिजनों के साथ हैं। संबंधित अधिकारियों को राहत एवं बचाव कार्यों के युद्ध स्तर पर संचालन और घायलों के समुचित उपचार हेतु निर्देश दिए हैं।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस दुखद घटना पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान मची भगदड़ से कई श्रद्धालुओं की मृत्यु का समाचार अत्यंत पीड़ादायक है। सभी शोकाकुल परिजनों को अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की आशा करता हूं। सरकार और प्रशासन से अनुरोध है कि घायलों को हर संभव उपचार एवं पीड़ित परिवारों को राहत उपलब्ध कराएं।

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा, हाथरस में हुई इस दर्दनाक घटना ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया है। प्रशासन की लापरवाही इस हादसे की मुख्य वजह है। सरकार को पीड़ित परिवारों को जल्द से जल्द सहायता पहुँचानी चाहिए और घटना की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए।

*जांच और आगे की कार्रवाई*

घटना के कारणों की जांच के लिए एडीजी आगरा और अलीगढ़ कमिश्नर की एक टीम गठित की गई है। प्रशासनिक विफलता के कारणों का पता लगाने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने का आश्वासन दिया गया है।

 

अंधभक्ति में गुरु के पांव छूने की होड़ में प्राण गंवा दिए

*एम के पांडेय निल्को की समीक्षा*

गुरु की भक्ति अंधभक्ति में बदल गई थी। चरण छूने की होड़ में सत्संगी ही कुसंगी बन गए। धक्का मुक्की। एक दूसरे को पीछे कर स्वयं ही ज्यादा आशीर्वाद बटोर लेने की होड़। निकलने के स्थान छोटे। श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या। सांस की हवा कम पड़ गई। उमस काफी थी। कुछ के दम घूंट गए। कुछ एक दूसरे से कुचल कर दम तोड दिए। अस्पताल कम पड़ गए। एंबुलेंस कम पड़ गए। एकादशी का मंगलवार काला पड़ गया। सौ से ज्यादा श्रद्धालु जो सत्संग की राह चलने वाले लोग थे, असमय काल की गाल में समा गए।
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदराराऊ क्षेत्र में एक सत्संग के दौरान मची भगदड़ ने न केवल सौ से अधिक लोगों की जान ली, बल्कि कई अन्य को घायल भी किया। इस घटना ने बड़े धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा मानकों की कमी और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया है।
सत्संग का आयोजन कथावाचक साकार विश्व हरि भोले बाबा द्वारा किया गया था। भगदड़ के परिणामस्वरूप मृतकों में अधिकांश महिलाएं और बच्चे शामिल थे। घटनास्थल पर भगदड़ क्यों मची? इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें भीड़ का अत्यधिक दबाव, गर्मी और उमस प्रमुख हैं। घायलों को तुरंत ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहां परिजन प्रशासन की अनुपस्थिति पर नाराजगी जाहिर कर रहे थे। सत्संग का आयोजन एक निजी कार्यक्रम था और इसकी अनुमति एसडीएम द्वारा दी गई थी। घटना के बाद, प्रशासन ने एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है जो इस मामले की जांच करेगी। हालांकि, इस बीच, स्थानीय लोगों और घायलों के परिजनों ने प्रशासन की धीमी प्रतिक्रिया और घटना स्थल पर वरिष्ठ अधिकारियों की अनुपस्थिति पर सवाल उठाए हैं। इस घटना ने बड़े आयोजनों में प्रशासनिक चूक और सुरक्षा मानकों की कमी को उजागर किया है। प्रशासन की ओर से पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं की गईं, जिससे इतनी बड़ी संख्या में जानें गईं।
हाथरस भगदड़ की घटना एक गंभीर प्रशासनिक विफलता का परिणाम है, जिसमें सैकड़ों निर्दोष लोगों की जान चली गई। आयोजक भी कम दोषी नहीं हैं, उन्हें जगह के हिसाब से ही अपने अनुआयी को इंट्री करने की जरूरत थी।यह घटना प्रशासन और आयोजकों के लिए एक चेतावनी है कि वे भविष्य में ऐसे आयोजनों के लिए कड़े सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करें। नेताओं की त्वरित प्रतिक्रिया और राहत उपायों ने पीड़ित परिवारों को थोड़ी राहत जरूर दी है, लेकिन यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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