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जानिए क्यों?: 26 सरकारी स्कूलों में लगने जा रहा ताला

लार विकास खंड के परिषदीय स्कूलों का हाल

 

...तो अब चलेगा स्कूल बंद करो अभियान

लार क्षेत्र के 26 सरकारी स्कूल होंगे बंद

पांडे एन डी देहाती/स्वाभिमान जागरण
देवरिया। सरकार ने स्कूल चलो अभियान चलाया। शिक्षक घर – घर गए। अभिभावकों से मिले। रैलियां निकाली गईं। जागरूकता अभियान चलाया गया। सरकार ने प्राथमिक शिक्षा पर खुले हाथ खर्च किए। बच्चों को मिड डे मिल के तहत दोपहर में पका पकाया भोजन दिया गया। निशुल्क किताबें दी गईं। निशुल्क यूनिफार्म की व्यवस्था की गई। अफसर से लेकर अध्यापक तक सभी लगे रहे। इसके बावजूद परिषदीय स्कूलों में बच्चों के नामांकन में बढ़ोतरी नहीं हुई। बेसिक शिक्षा विभाग अब स्कूल बंद करो अभियान चलाएगा। उन सभी सरकारी स्कूलों को बंद करा दिया जाएगा जिन स्कूलों में पचास से कम बच्चे हैं। बंद किए गए स्कूल के बच्चों को निकटवर्ती स्कूल में भेजा जाएगा। स्कूल बंद करो अभियान की चपेट में लार क्षेत्र के 26 सरकारी स्कूल हैं।
लाखों की लागत से खड़ी की गईं बिल्डिंगे अब बिरान हो जाएंगी। इसका एक मात्र कारण यह है कि परिषदीय स्कूलों के प्रति अभिभावकों का मोहभंग हो चुका है। स्थिति की यदि सही समीक्षा करें तो परिषदीय स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के ही बच्चे पढ़ने जा रहे। संपन्न परिवार का हर बच्चा कांवेंट पहुंच रहा है। परिषदीय स्कूलों में नामांकन का औसत इतना गिरा कि देवरिया जिले के लार ब्लाक में कुल 136 स्कूल हैं। ब्लाक के 26 स्कूल बंद होने जा रहे। कारण यह है कि इन स्कूलों में छात्रों के नामांकन पचास या उससे नीचे के स्तर पर आ गया। क्या इसके लिए परिषदीय स्कूलों के गिरते शिक्षा स्तर को दोषी माना जाय? या बंद होने जा रहे सरकारी स्कूलों में तैनात शिक्षकों को अकर्मण्य मान लिया जाय? इसी ब्लाक में बहुत से परिषदीय स्कूल ऐसे भी हैं जहां का पठन पाठन इतना बेहतर है कि वे स्कूल कांवेंट स्कूलों को टक्कर दे रहे हैं। उनके यहां बच्चों की तादात भी अच्छी है। इतना जरूर है कि इस मुकाम पर अपने स्कूल को लाकर खड़ा करने वाले शिक्षक ने केवल ड्यूटी नहीं बजाई, बल्कि अपने गुरुतर दायित्व को इस कदर निभाए जैसे स्कूल के बच्चे उनके अपने बेटे- बेटियां हों।
लार विकास खंड के जो प्राथमिक स्कूल बंद होने जा रहे उनमें अमौना, भैसही, भस्करी, भीखम छपरा, चौरिया, धमौली, धंधवार, गाहोडिला, गौरी पांडेय, हतवा मठिया, खरदहा नीलकंठ, कौसड, मधवापुर, मंगरइचा, मंझरिया,मठ अमौना, सकरापार, पिंडी और सरैया हैं। इसी प्रकार जूनियर स्कूलों में भेवली, दामोदरा, हरखौली, खेमादेई 2, मझवलिया नंबर तीन, पिंडी और संजाव स्कूल बंद होंगे। उक्त 26 स्कूलों को बंद कर उनके बच्चों को निकटवर्ती स्कूलों में भेजा जाएगा।
इन 26 स्कूलों के अलावा कई और स्कूल भी हैं जहां नामांकन तो अधिक है लेकिन स्कूल में बच्चे कभी उतनी संख्या में नहीं मिलेंगे। शिक्षा विभाग के अधिकारी जब कभी जांच में जाते हैं तो उपस्थिति कम पाई गई। कागजों में नामांकन का खेल करके कई स्कूलों को बंद होने से बचाने में कुछ शिक्षक सफल भी हो गए हैं। दोपहर के भोजन के बाद स्कूलों की जांच यदि अधिकारी करें तो सही स्थिति सामने आ जाएगी कि वास्तव में कितने बच्चे पढ़ने आ रहे। ग्रामीण क्षेत्र के कई स्कूलों में देखा गया कि दोपहर के भोजन के बाद कई बच्चे बकरी , गाय , भैंस चराने के लिए घर चले जाते हैं।

इस संबंध में प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष गोविंद मिश्र से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग जो लिस्ट बनाया है वह पहले की छात्र संख्या पर बनी लिस्ट है। हमारे यहां 30 सितंबर नामांकन का अंतिम दिन माना जाता है। कई स्कूलों में नामांकन बढ़ा है। अभी और नामांकन होगा तो बंद होने वाले स्कूल की संख्या कम हो जाएगी।

इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी अमित कुमार सिंह का कहना है कि नामांकन की तिथि अभी 30 सितंबर तक है। 26 स्कूलों के बंद कर उनके बगल के स्कूल में बच्चों के पठन पाठन की व्यवस्था पर काम होना है। यदि नामांकन बढ़ जाएगा तो बंद होने वाले स्कूलों की कुछ संख्या कम हो जाएगी।

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