मौसम प्रतिकूल तो प्राचीन खेती की तरफ लौटें, मोटे अनाज की खेती करें
लार ब्लाक सभागार में हुआ किसानों का प्रशिक्षण
स्वाभिमान जागरण संवाददाता

देवरिया। खेत और मौसम वर्तमान फसलों के विपरीत हैं और सभी थकान का संकेत दे रहें हैं! अगर भविष्य में मनुष्य को भोजन देना है तो हमें प्राचीन खेती की तरफ लौटना होगा। संयुक्त राष्ट्र संघ में बैठक कर 63 देशों ने स्वीकार किया है कि भारत में पैदा होने वाला मोटा अनाज विपरित परिस्थितियों में पैदा किया जा सकता है। वहीं श्री अन्न ( मोटा अनाज) मनुष्य के लिये सेहतमन्द है। बिना किसी रासायनिक और कीटनाशक के पैदा होने वाला श्री अन्न शरीर और मिट्टी दोनों को सेहत प्रदान करता है। मोटे अनाज की खेती करने के लिये सरकार अनुदान पर एवं निशुल्क ( मिनी कीट)श्री अन्न के बीज उपलब्ध करा रही है जिसको राजकीय कृषि बीज भण्डार से उपलब्द्ध कराया जा रहा है। केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा समूहों एवं किसान उत्पादक समितियों को श्री अन्न के उत्पादन एवं प्रोसेसिंग प्लान्ट लगाने के लिये प्रोत्साहन एव अनुदान दे रही है। मुख्य अनाज गेहूँ की उत्पादन लागत में लगातार बढोत्तरी हो रही है। प्रतिकूल मौसम की वजह से गेहूँ के उत्पादन में निरंतर कमी हो रही है। गेहूं में ग्लूटीन पाया जाता है जो मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा नहीं होता ठीक इसके विपरीत मोटे अनाज में प्रचुर मात्रा में आयरन, सल्फर, जिंक, कैल्शियम आदि तत्व पाये जाते हैं। वर्ष 2023 से वर्ष 2028 तक विश्व मिलेट्स वर्ष मनाया जा रहा है। अब देश में विदेशी मेहमानों को खाद्य पदार्थ के रूप में मोटे अनाज को परोसा जा रहा है तथा केंद्र एवं राज्य सरकार अपने बैठकों में खाद्य पदार्थ के रूप में मोटे अनाज से बनी खाद्य वस्तुओं को परोस कर मोटे अनाज को प्रोत्साहित कर रही हैं।
इसी क्रम में आज दिनांक 11.8.2025 को मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित करने के लिये विकास खण्ड कृषक कल्याण भवन पर कृषको को प्रशिक्षित किया गया। विषय वस्तु विशेषज्ञ सुरेश चन्द वर्मा, फूल चन्द निषाद व कृषि विभाग के सुरेश सिंह चौहान, मृत्युंजय मौर्या, आशुतोष मिश्रा सहभागी थे। क्षेत्र के प्रगतिशील कृषक त्रिभुवन प्रताप सिंह, हरेन्द्र तिवारी, पारस प्रसाद, सच्चिदानंद सिंह सहित ढेर सारी महिला कृषकों ने सहभागिता किया।



