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बीच खेल नियम बदलने का प्रयास स्वयं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के आदेश के विरुद्ध – संजय मणि त्रिपाठी।

"पचास की उम्र में टेट परीक्षा आदेश, शिक्षकों में आक्रोश।"

स्वाभिमान जागरण संवाददाता महराजगंज।

एक सितंबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा टीईटी को लेकर जारी आदेश के सापेक्ष सोमवार को उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ जनपद शाखा महराजगंज के बैनर तले सैकड़ों शिक्षकों ने कलेक्ट्रेट परिसर में उपस्थित होकर देश के प्रधानमंत्री, केन्द्रीय शिक्षा मंत्री एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा जिसे प्रशासनिक अफसर कलेक्ट्रेट को दिया गया।। पिछले 01 सितम्बर 2025 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार शिक्षकों को अब सेवा में बने रहने के लिए अधिकतम 2 वर्षों में टेट की परीक्षा पास करनी होगी, जबकि आरटीई एक्ट 2009 के अनुसार 23 अगस्त 2010 में इसकी गाइड लाइन जारी की गई और 29 जुलाई 2011 से उत्तर प्रदेश में आरटीई एक्ट को लागू करते हुए कहा गया कि 29 जुलाई 2011 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को इस व्यवस्था से मुक्त रखा गया जाएगा। परन्तु 03 अगस्त 2017 में आरटीई एक्ट धारा 23(2) में समस्त शिक्षकों को टेट अनिवार्य कर दिया, लेकिन इस के दायरे में आने वाले प्रभावित पक्ष अर्थात प्रदेश के शिक्षकों को सरकार की ओर से किसी प्रकार का न तो नोटिस और न ही उक्त के सम्बंध में कोई अधिसूचना जारी की गई।

शिक्षकों का कहना है कि उक्त मुकदमे में केवल महाराष्ट्र और तमिलनाडु सरकार ही पक्षकार थी जबकि उत्तर प्रदेश सहित अन्य प्रदेश उक्त मुकदमें में पार्टी ही नहीं थे। इसको लेकर विद्वान न्यायाधीशों की पीठ द्वारा धारा 142 की विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए जो देशव्यापी निर्णय लिया गया है उसके कारण देश के लाखों लाख शिक्षकों सहित उत्तर प्रदेश के लगभग 2,50,000 शिक्षक परिवारों के सामने आजीविका का संकट उत्पन्न हो गया है, उनको टीईटी से मुक्त रखा जाए। ज्ञापन के माध्यम से आज उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश के प्रांतीय आवाहन पर पूरे प्रदेश के सभी जनपद मुख्यालयों पर उच्चतम न्यायालय के उक्त निर्णय से शिक्षा विभाग से जुड़ी हुई कुछ व्यावहारिक व नीतिगत समस्याओं की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए समाधान करने हेतु प्रधानमंत्री एवं यूपी के मुख्यमंत्री से शिक्षकों के हित में आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की है। शिक्षकों का कहना था कि विभाग में शिक्षकों की भर्ती अलग-अलग समय पर अलग-अलग मानक पर की गई है। भर्ती के मानक पूरा करने वाले शिक्षकों को वरीयता के आधार पर सेवा में लिया गया है। कुछ भर्तियों में नियुक्त शिक्षक टेट परीक्षा देने के लिए आवश्यक योग्यता नहीं रखते है।

उच्चतम न्यायालय के निर्णय से शिक्षक मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं, जिससे शिक्षण व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। टीईटी को सेवारत सभी शिक्षकों पर लागू किए जाने पर प्रदेश के लाखों शिक्षकों के कार्यशैली पर प्रश्न उठ रहा है जिससे बेसिक शिक्षा विभाग की छवि भी प्रभावित हो रही है।

सर्वोच्च न्यायालय का उपरोक्त निर्णय नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के भी प्रतिकूल है। इन सभी बिंदुओं के आधार पर संगठन द्वारा ज्ञापन की रूपरेखा तैयार की गई। ज्ञापन के माध्यम से शिक्षकों ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रदेश के लाखों लाख सेवारत शिक्षकों की सेवा को टीईटी से मुक्त रखने के लिए उच्चतम न्यायालय में शिक्षकों का पक्ष रखने एवं आवश्यकता अनुरूप अधिनियम में संशोधन करने की मांग की गई है, जिससे शिक्षकों को मानसिक तनाव से बचाया जा सके और शिक्षक एवं शिक्षार्थी हित पूर्ण हो सके।

ज्ञापन कार्यक्रम में प्रदेश के कार्यवाहक अध्यक्ष संजय मणि त्रिपाठी , जिलाध्यक्ष अजय पांडेय व जिला महामंत्री विनय पाठक मंडल उपाध्यक्ष वीरेन्द्र कुमार त्रिपाठी मंडल महामंत्री विजय शंकर त्रिपाठी सहित जनपद के प्रत्येक ब्लाक के अध्यक्ष एवं मंत्री साहित सैकड़ो की संख्या में अध्यापक शामिल हुए।

DSJ0081

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