उन्नाव

मानसिक तनाव में हूं,कंपनी के अधिकारी कर रहे मानसिक उत्पीड़न,वॉट्सएप भेज खा लिया जहर “मौत”

स्वा. जागरण उन्नाव – जिले के दही चौकी औद्योगिक क्षेत्र में संचालित कुत्तों के बिस्किट बनाने वाली फैक्टरी में ऑपरेटर के पद पर तैनात कर्मी ने जहर खाकर जान दे दी। उसका शव फैक्टरी में ही मिला। मौत से पहले उसने रात 2:30 बजे पांच भाइयों को व्हाट्सएप मैसेज भी किया।

फैक्टरी के अधिकारियों की प्रताड़ना से परेशान होने और अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया। चचेरे भाई ने दही थाने में घटना की लिखित सूचना दी। शहर के कांशीराम कालोनी निवासी संजय मिश्र (45) नौ साल से दही थानाक्षेत्र में स्थित एग्रो फूड्स कंपनी में ओवन ऑपरेटर थे।
गुरुवार को रात में ड्यूटी होने से शाम करीब 6:30 बजे वह बाइक से निकले थे। रात करीब 2:30 बजे उन्होंने चचेरे भाई गौरव मिश्रा सहित पांच अन्य भाइयों को मैसेज किया। लिखा कि मानसिक तनाव में हूं। कंपनी के जीएम सहित चार अन्य अधिकारियों ने मानसिक उत्पीड़न किया है।यह सभी मेरी मौत के जिम्मेदार होंगे।

परिजनों ने 112 पर पुलिस को सूचना दी गई। रात में ही पुलिस फैक्टरी पहुंची, तो बताया गया कि संजय आज काम पर ही नहीं आए। इसके बाद मृतक के चचेरे भाई विकास मिश्र व अन्य परिजन पहुंचे। फैक्टरी परिसर में बाइक और हेलमेट की पहचान की।

मुंह से भी निकला हुआ था झाग
पुलिस ने कड़ा रुख अपनाया, तो जीएम मनोज ने गेट खुलवाया। अंदर जाकर देखा, तो संजय अपने केबिन में अचेत पड़े थे। मुंह से झाग भी निकला था। इस कवायद में शुक्रवार सुबह के पांच बज गए। जीएम ने अपनी गाड़ी से जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टर ने संजय को मृत घोषित कर दिया।

फैक्टरी प्रबंधन करता रहा मुआवजे की बात
गुस्साए परिजनों ने जीएम की गाड़ी की चाबी छीन ली और पुलिस ने उन्हें पुलिस चौकी में बैठा लिया। शुक्रवार शाम तीन बजे तक परिजन और फैक्टरी प्रबंधन मुआवजे को लेकर बात करता रहा, लेकिन बात नहीं बनी। प्रबंधन के लोगों ने पुलिस की मौजूदगी में शनिवार को बात करने की बात कही।

परिजन और प्रबंधतंत्र के बीच चल रही है वार्ता
इस पर परिजन शव का पोस्टमार्टम कराने को तैयार हुए और शाम पांच बजे अंतिम संस्कार किया। मृतक तीन भाई में सबसे बड़े थे। पत्नी शैल व बेटी अंशिका है। एसओ अनुराग सिंह ने बताया कि अभी परिजन और प्रबंधतंत्र के बीच आपस में वार्ता चल रही है। कोई तहरीर मेरे पास नहीं आई है।

एक साल पहले सात महीने के लिए निकाला था
पत्नी शैल मिश्रा ने बताया कि इस कंपनी में काम करते पति के इस बार पूरे दस साल हो जाते। नियमानुसार दस साल काम करने पर कर्मचारी को कंपनी का मान लिया जाता है। लेकिन कर्मचारियों ने उसमें भी खेल किया। पिछले साल सात महीने के लिए उन्हें निकाल दिया था। बाद में फिर बुलाया था। ताकि दस साल पूरे न होने पाए।

बेटी की परवरिश के लिए दस लाख की मांग
शैल मिश्रा और बेटी अंशिका(16) के लिए परिजन कंपनी प्रबंधन से दस लाख रुपये की मांग कर रहे हैं। प्रबंधन पहले दो फिर चार लाख रुपये तक ही देने की बात कह रहा है। फिलहाल अभी बात नहीं बन पाई है। रविवार को फिर से वार्ता होनी है।

अमित सिंह

Dainik Swabhiman Jagran

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