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आज की रात पचरूखिया कांड में सात पुलिसकर्मी शहीद हुए थे, 1994 से कुशीनगर के पुलिस थानों में नहीं मनी जन्माष्टमी, अब आज 31 वर्ष बाद मनेगी

 

पचरूखिया कांड के 31 वर्ष बाद इस वर्ष से कुशीनगर के पुलिस थानों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाने की तैयारी

पांडे एन डी देहाती / स्वाभिमान जागरण

यूपी के पुलिस थानों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार बहुत पहले से ही मनाने की परम्परा है। कुशीनगर जनपद में इस बार 31 वर्ष बाद पुलिस थानों में श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाये जाने की तैयारी हो हुई।
आईये, बताते हैं कुशीनगर जनपद में क्यों नहीं मनाई जाती थी जन्माष्टमी।

देवरिया से अलग कर 13 मई, 1994 को पडरौना जिला बना। 1997 में पडरौना का नाम बदल कर बदलकर कुशीनगर कर दिया गया। 29 अगस्त 1994 की बात है। पुलिस थानों में जन्माष्टमी की धूम थी। पडरौना में दस्यु गिरोहो का आतंक चलता था। पडरौना को मिनी चम्बल बोला जाता था। पुलिस को सूचना मिली कि जंगल दस्यु बेचू मास्टर व रामप्यारे कुशवाहा उर्फ सिपाही का गैंग आज की रात पचरूखिया के ग्राम प्रधान राधाकृष्ण गुप्त के घर डकैती डालने वाले हैं। पडरौना के कोतवाल योगेंद्र प्रताप सिंह ने यह जानकारी एसपी बुद्धचंद को दी। उसके बाद तो पडरौना के हर थानों के वायरलेस सेट आवाजें गूंजनी लगी। हेलो हेलो कमांडर स्पीकिंग…। मिश्रौली डोल मेला में लगे सभी पुलिसकर्मियों को तत्काल पचरूखिया के सिवान पर भेजो।…पडरौना कोतवाली के सभी स्टॉफ असलहो के साथ पचरूखिया पहुंचें।… सीओ पडरौना आरपी सिंह तुरंत पचरूखिया पहुंचो। सीओ हाटा गंगा राम तुरंत पहुंचो।… आदि आदि। इसके मैसेज के बाद तो पूरे पडरौना जिले में पुलिस के सायरन गूंजती गाड़ियाँ एक के बाद एक करके पच रुखिया के चारोंतरफ फ़ैल गयीं। इसके बाद एसओ तरयासुजान, अनिल पांडेय एसपी ने इस अभियान में शामिल होने का आदेश दिया। बदमाशों की धर पकड़ के लिए सीओ पडरौना आरपी सिंह के नेतृत्व में गठित टीम में सीओ हाटा गंगानाथ त्रिपाठी, दरोगा योगेंद्र सिंह , आरक्षी मनिराम चौधरी, राम अचल चौधरी, सुरेंद्र कुशवाहा, विनोद सिंह व ब्रह्मदेव पांडेय शामिल किए गए। दूसरी टीम में एसओ कुबेरस्थान राजेंद्र यादव, दरोगा अंगद राय, आरक्षी लालजी यादव, खेदन सिंह , विश्वनाथ यादव, परशुराम गुप्त, श्यामा शंकर राय, अनिल सिंह व नागेंद्र पांडेय आदि रात्रि साढे़ नौ बजे बांसी नदी किनारे पहुँच गए। वहां पता चला कि बदमाश पचरूखिया गांव में हैं, तो पुलिसकर्मियों ने नाविक भुखल को बुला डेंगी नाव पर सवार हुए।अचानक डकैतो ने बम और गोली चलाना शुरू किया। पहली गोली नाविक भुखल व सिपाही विश्वनाथ यादव को गोली लग गई और डेंगी अनियंत्रित हो गई। इससे सवार सभी पुलिसकर्मी नदी में कूद गए। इस दौरान बदमाशों ने पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ 40 राउंड फायर किया। इस घटना में
एसओ तरयासुजान अनिल पांडेय, एसओ कुबेरस्थान राजेंद्र यादव, तरयासुजान थाने के आरक्षी नागेंद्र पांडेय, पडरौना कोतवाली में तैनात आरक्षी खेदन सिंह , विश्वनाथ यादव व परशुराम गुप्त शहीद हो गए। नाविक भुखल भी डकैतो की गोली से चल बसा। उसके बाद सभी थानों में जन्माष्टमी का त्योहार स्थगित हो गया। सुबह होते होते तत्कालीन डीजीपी प्रकाश सिंह पडरौना पहुंचे। पुलिसकर्मियों के शवों पर राष्ट्रीय ध्वज डाल कर उन्हें सलामी दी गयी। उसके बाद सभी शहीद कर्मियों के शव उनके पैतृक गाँव भेजवाये गए। इस शोक के बाद कभी पडरौना से कुशीनगर बने जिले में पुलिस थानों में जन्माष्टमी नहीं मनाई गयी। आज 31 वर्ष बाद जन्माष्टमी की तैयारी है।

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